Skip to main content

विश्वविद्यालयों के लिए स्वायत्तता एवं स्वतंत्रता काफी अहम

(आईएएनएस)। विश्वविद्यालय ज्ञान का सृजन करने और ज्ञान का आदान-प्रदान करने वाले मंच रहे हैं। ये राष्ट्रों को एक ज्ञानवान समाज के रूप में तब्दील करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। वक्त के साथ, विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगता गया, और सामाजिक परिवर्तन के माध्यम के रूप में उनका महत्व कम होता गया है। ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (जीपीपीआई) की ओर से जारी अकादमिक स्वतंत्रता सूचकांक में यह दर्शाया गया है कि कई देशों में विश्वविद्यालयों की अकादमिक स्वतंत्रता चुनौतीपूर्ण रही है। अल्बर्ट आइंस्टीन का एक वक्तव्य काफी प्रसिद्ध हुआ था, अकादमिक स्वतंत्रता की बदौलत, मैंने सत्य की खोज करने और सच को प्रकाशित करने और सच को बताने के अधिकार के बारे में समझा। इस अधिकार में कर्तव्य भी निहित है। किसी को भी किसी भी ऐसे हिस्से को छुपाना नहीं चाहिए जिसे सच माना जाता है। 

एक प्रतिष्ठित भारतीय विश्वविद्यालय में हुई हालिया घटनाएं दुनिया भर में सार्वजनिक चिंता का विषय हैं और ये बहुत अधिक प्रासंगिक भी हैं और इनका संबंध अकादमिक स्वतंत्रता, संस्थागत स्वायत्तता और नियामक कठोरता से है। जब सार्वजनिक क्षेत्र में अकादमिक स्वतंत्रता के कई मुद्दों पर बहस हो रही है, हमें इन मुद्दों का गहन और अधिक बारीक विश्लेषण करना चाहिए क्योंकि इससे ही भारत और दुनिया भर के विश्वविद्यालयों के भविष्य को आकार मिलेगा।

शुरूआत में, यह उल्लेख करना आवश्यक है कि अकादमिक स्वतंत्रता दुनिया के किसी भी विश्वविद्यालय के लिए मौलिक है। लोकतंत्र के लिए यह गर्व का विषय होता है कि लोकतांत्रिक समाजों में वैसे अनमोल स्थान सुरक्षित होते हैं जहां बोलने की स्वतंत्रता की विधिवत रक्षा की जाती है और और उसे बढ़ावा दिया जाता है। ऐसे लोकतंत्र में, जहां विभिन्न विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होती है, वहां किसी भी तरह की वैचारिक हठधर्मिता चाहे वह वामपंथी हो या दक्षिणपंथी वह विश्वविद्यालयों के लिए ठीक नहीं होती है। अकादमिक स्वतंत्रता के केंद्र में लगातार लोकतांत्रिक आदशरें का संरक्षण, बहुलतावाद को बढ़ावा और लोकतांत्रिक संस्थाओं का पोषण करना रहा है।

शिक्षक के रूप में हमारी चुनौती सामाजिक संगठनों के रूप में एक जटिल भूमिका निभाने वाले विश्वविद्यालयों की पहचान करना है। कोई भी अद्वितीय परिस्थितियां अपने संस्थागत संदर्भ में अकादमिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए किसी सार्वजनिक या निजी विश्वविद्यालय का पक्ष नहीं लेती हैं। हालांकि, निस्संदेह रूप से ऐतिहासिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कारक कुछ समाजों में शैक्षणिक स्वतंत्रता को संस्थागत बनाने में योगदान दे रहे हैं।

विश्वविद्यालय प्रशासन का मूलभूत उद्देश्य संस्थागत स्वायत्तता सुनिश्चित करते हुए शैक्षणिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देना है जिसके लिए निम्नलिखित तीन सिद्धांत महžवपूर्ण हैं। पहला, शिक्षकों और कर्मचारियों की सभी नियुक्तियां, समीक्षा और मूल्यांकन पूरी तरह से विश्वविद्यालय के भीतर किया जाना चाहिए। वे योग्यता और कार्य पर आधारित हो और विश्वविद्यालय की नीतियों, नियमों और विनियमों के आधार पर होना चाहिए। इन प्रक्रियाओं को लागू करने के लिए निर्णय लेने की शक्तियों को विश्वविद्यालय के नेतृत्व में निहित किया जाना चाहिए, जिसमें संकाय और कर्मचारी शामिल हों। दानकर्ता चाहे वो कितना भी महžवपूर्ण हो, सहित सभी बाहरी लोगों को इस प्रक्रिया से बाहर रखा जाना चाहिए। अकादमिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए किसी विश्वविद्यालय के आंतरिक प्रशासन का अधिकार पूरी तरह संकाय सदस्यों के पास होना चाहिए न कि विश्वविद्यालय के बाहर के किसी के पास।

दूसरा, कार्यक्रम, पाठ्यक्रम, कोर्स, शिक्षण और स्कूलों / विभागों की स्थापना से संबंधित सभी निर्णय विश्वविद्यालय की नीतियों, नियमों और विनियमों के अनुसार विश्वविद्यालय के भीतर निर्धारित किए जाने चाहिए और निर्णय लेने की सभी शक्तियां विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों और कर्मचारियों के पास होने चाहिए। जब ये निर्णय विभिन्न सरकारी और नियामक निकायों द्वारा दिए गए कानूनों, नियमों, विनियमों और दिशानिर्देशों के अनुरूप होते हैं और अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम मानदंडों पर आधारित होते हैं, तो विश्वविद्यालय के बाहर के किसी भी व्यक्ति को इन निर्णयों को नियंत्रित या प्रभावित नहीं करना चाहिए।

और तीसरा, संकाय सदस्यों के प्रकाशन सहित उनके द्वारा किए गए अनुसंधान से संबंधित सभी निर्णय अकादमिक स्वतंत्रता और बौद्धिक स्वायत्तता के सिद्धांतों पर आधारित होने चाहिए। वे संकाय सदस्य जो अकादमिक अनुसंधान में शामिल हैं, उन्हें शोध के विषय और अनुसंधान के परिणाम सहित शोध परियोजनाओं को निर्धारित करने के लिए पूर्ण स्वायत्तता मिलनी चाहिए। जब संकाय सदस्य ऐसे अनुसंधान और प्रकाशनों में व्यस्त रहेंगे तो सत्ता से सच बाहर आएगा और यह साक्ष्य पर आधारित होना चाहिए, खासकर जब अनुसंधान का उद्देश्य नीति-निर्माण को सूचित करना हो।

इसके बाद हमें अकादमिक स्वतंत्रता को भारतीय विश्वविद्यालयों में सार्थक रूप से स्थापित करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन के दो केंद्रीय पहलुओं के महत्व को पहचानने की आवश्यकता है। एक, नियामक स्वतंत्रता। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 ने भारतीय विश्वविद्यालयों को सशक्त बनाने के लिए पर्याप्त नियामक सुधारों की परिकल्पना की है।

सार्वजनिक या निजी, भारत में विश्वविद्यालय प्रभावी आंतरिक प्रशासन के लिए कई हितधारकों पर निर्भर होते हैं। ये हितधारक संस्था के अंदर और बाहर के होते हैं। पर्याप्त नियामक स्वतंत्रता प्राप्त किए बिना, कोई भी विश्वविद्यालय वास्तव में स्वायत्त तरीके से कार्य नहीं कर सकता है और संकाय सदस्यों और छात्रों की शैक्षणिक स्वतंत्रता की रक्षा नहीं कर सकता है। मेरा मानना है कि यह एनईपी 2020 का लक्ष्य है, जो अखंडता, पारदर्शिता और संसाधन दक्षता को सुनिश्चित करने के लिए एक हल्का लेकिन कसा हुआ विनियामक ढांचा को बढ़ावा देता है, और स्वायत्तता, अच्छे शासन और सशक्तिकरण के माध्यम से नवाचार और सबसे अलग विचारों को प्रोत्साहित करता है।

दूसरा, विश्वविद्यालयों में पारदर्शिता की संस्कृति विकसित करने की आवश्यकता है जिसमें सभी हितधारकों के साथ उचित परामर्श के बाद महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं। परामर्श, संचार और आम सहमति बनाने की आवश्यकता अनिवार्य है। हालांकि, निर्णयों की वैधता और स्वीकृति के लिए, सभी हितधारकों के बीच विश्वास, सम्मान और एक साथ गवर्नेंस का मौलिक और मूलभूत पहलू होना चाहिए। वरना असहमति से पारस्परिक संबंध कटुतापूर्ण हो सकते हैं जो शैक्षणिक और बौद्धिक पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं और विश्वविद्यालयों को इसके खिलाफ चौकसी बरतनी चाहिए।

एनईपी 2020 की ²ष्टि और परिकल्पना को अगर सही अर्थ में और सही तरीके से लागू किया जाए तो इससे भारतीय विश्वविद्यालयों की उत्कृष्टता को बढ़ावा मिलेगा और विश्वविद्यालय राष्ट्र-निर्माण में योगदान करते हुए विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान करने में सक्षम होंगे। राष्ट्र, संस्थानों, विशेष रूप से विश्वविद्यालयों के लिए 'आत्मनिर्भरता, स्वतंत्रता, स्वायत्तता और शासन के मूल सिद्धांतों के साथ जुड़ा हुआ है।

(प्रोफेसर सी राज कुमार, जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) के संस्थापक कुलपति हैं।)



.Download Dainik Bhaskar Hindi App for Latest Hindi News.
.
...
autonomy and independence are important for indian universities
.
.
.


from https://ift.tt/3dawRO3

Comments

Popular posts from this blog

सरकारी नौकरी: इस यूनिवर्सिटी ने निकाले 117 पदों पर भर्ती, 7 जून अंतिम तारीख

डिजिटल डेस्क,दिल्ली। कोरोना काल में जहां एक तरफ शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी हैं तो वहीं दूसरी तरफ इच्छुक कैंडिडेट्स के लिए दीनदयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी में सरकारी नौकरी पाने का सुनहरा अवसर है। हाल ही में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी ने प्रोफेसर समेत अन्य 117 पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है और फॉर्म भरने की अंतिम तारीख 7 जून है। जानकारी विस्तार से दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी ने प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर समेत अन्य 117 पदों पर भर्ती निकाली है।  ऑनलाइन एप्लीकेशन अप्लाई करने की प्रक्रिया 6 मई  से शुरू हो चुकी है। अप्लाई करने की अंतिम तारीख 7 जून तक जारी रहेगी। इच्छुक कैंडिडेट्स यूनिवर्सिटी की ऑफिशियल वेबसाइट ddugu.ac.in में जाकर ज्यादा जानकारी इकट्ठा कर सकते है। आप अगर पीएचडी और मास्टर्स डिग्री होल्डर, नेट क्वालिफाइड हैं तो इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं। साथ ही आपको आपको टीचिंग में कम से कम 8 साल का अनुभव भी होना चाहिए।  आवेदन फीस की बात करें तो जनरल कैटेगरी के लिए 1500 और एससी,एसटी कैटेगरी को 1000 रु...

वेब सीरीज एस्पिरेंट्स के गुरी-धैर्या की लव स्टोरी बन कर तैयार, यहां देखें TVF का नया शो

TVF की पॉपुलर वेब सीरीज 'एस्पिरेंट्स' में गुरी-धैर्या की इस छोटी लव स्टोरी को अब पूरे शो में दिखाया जाएगा। मेकर्स ने दोनों ने 'एस्पिरेंट्स' के नए स्पिन ऑफ का एलान कर दिया है जिसके लिए इंतजार बढ़ गया है। from Web Series in Hindi (हिंदी वेब सीरीज) - OTT Series in Hindi, Netflix best web series in Hindi https://ift.tt/2ZG60jm

हीरामंडी में खुद की परफॉर्मेंस देखकर शर्मिन सेगल को आई शर्म, कहा- 1 बार से ज्यादा नहीं देख पाई क्योंकि...

संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज हीरामंडी में शर्मिन सेगल का अहम किरदार था। हालांकि उनकी परफॉर्मेंस कुछ लोगों को पसंद नहीं आई। from Latest Web Series, OTT Updates, News & Reviews on Web Series, OTT Platforms New Releases, वेब सीरीज न्यूज़ – Hindustan https://ift.tt/oRk9NeC